समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 05.11.2017
शशांक मिश्र भारती
01.
स्वाद उनका-हाथ उनका
चाकू उनका-
कटा मैं...
फल बेचारा!
02.
सूर्य न/बन सके तुम,
क्या जल भी न सकते थे
लघु दीप बन।
03.
जब-जब
रामगुप्त इस धरा पर
ध्रुवस्वामिनी अपमानित
आम-आदमी रोटी को तरसता।
04.
झाड़-झाड़ कर
अपने घर को
पटक ला दिया/एक किनारे
झाड़न या...।
- हिन्दी सदन, बड़ागांव, शाहजहांपुर-242401, उ.प्र./मो. 09410985048
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