समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 29.10.2017
उषा कालिया
01.
हृदय के प्रांगण में
गाँव की तस्वीर बसी थी
बरसों बाद देखा
सब कुछ बदल गया है
नैसर्गिक सुन्दरता को
भौतिकता के
विषैले आवरण ने ढक लिया है।
02.
रेखाचित्र : बी. मोहन नेगी |
तुम्हारी हर रचना
मन्त्रमुग्ध करती है
उदासी के पलों में
प्रकृति सहचरी बन
आशा के रंग भरती है
- घुग्गर नाले, चाणक्यपुरी, पालमपुर-176061, जिला कागड़ा, हि. प्र./मो. 09418833589
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