Sunday, April 24, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /225                           अप्रैल 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 24.04.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


वीणा शर्मा वशिष्ठ




01. पुराना ताला


पुराना ताला

खामोशी से लटक रहा

जोह रहा राह

सुखद 

कोमल स्पर्श की!


02. काग की मनोदशा


काग

विनीत भाव से....

काश! अपच हो जाए

इस बार का कनागत भोग

रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 
अगले कनागत तक चल जाए।


03. कलम

    

कलम की धार

बड़ों-बड़ों को गिरा देती है

पर,पेट की खातिर 

ये कलम

खुद ही बिक जाती है।

  • 597, सेक्टर-8, पंचकूला-134109, हरियाणा/मो. 07986249984

Sunday, April 17, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /224                         अप्रैल 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 17.04.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


चक्रधर शुक्ल



01.


शरीर का तापमान

रखना मेन्टेन, 

जाड़ा 

बी पी बढ़ाता

आदमी 

हो जाता लालटेन।


02.


बर्फ़ की

सर्जिकल स्ट्राइक देखकर

सैलानी हरषाये,

स्नोफाल

देखने चले आये।


03.


सुबह का सूरज

कुहरे का साथी ,

छायाचित्र : उमेश महादोषी  
दिखाई नहीं दे रहा

पास खड़ा हाथी।


04.


धूप में  रहना

सभी को भा रहा ,

हवा में  तीखापन

पहाड़ों से आ रहा।

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मो.  09455511337

Sunday, April 10, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /223                        अप्रैल 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 10.04.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


रमेश कुमार भद्रावले




01. इंसाफ 

          

काली पट्टी बाँधकर,

न्याय की तराजू

औरत के हाथों,

क्या दे दी गई,

जन्म से पहले- गर्भपात 

जन्म के बाद- प्रताड़ना, दहेज 

ताउम्र न्याय के

लिए तरस गई!


02. कला


काम उसी से चलता

टुकड़ा हो, आधी-पौन,

या- हो,

अख्खी,

डिजाइन, रोटी की,

आदमी ने,

चाँद से ही,

सीखी!


चित्र : प्रीति अग्रवाल 
03. फागुन

साल का,

हर महीना

मस्ती के रंग में,

रंग जाता,

यदि, फागुन खुद,

अपने साथियों,

के साथ होली

खेल जाता,!

  • गणेश चौक, हरदा, म.प्र./मो. 09926482831

Sunday, April 3, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /222                        अप्रैल 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 03.04.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


ज्योत्स्ना शर्मा 




01.


खिलौने तोड़कर

एक ने कहा- असभ्य!

कब सभ्य बन पाएगा?

टुकड़ों को

और महीन करते हुए

दूसरे ने कहा

जब सतयुग आएगा।


02.


खूबसूरत है

मेरी हिन्दी भाषा

मनोहर अर्थों का

सुन्दर शब्दों में

विन्यास है, रस-विभाग है!

देखिए तो-

प्रेम राग है और ईर्ष्या आग है!

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


03.


सुखद होता है

मित्रों से मिलना!

इसका

सुन्दर प्रमाण मिल गया

जब

किरणों की आहट से

फूलों का

चेहरा खिल गया...!

  • एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053