Sunday, October 31, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /200                         अक्टूबर 2021

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 31.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


रमेशकुमार भद्रावले





01. सफलता

जाकर चाँद पर

आदमी

मिट्टी ले आया है

आज तक

आदमी, आदमी तक

नहीं पहुँच पाया है!


02. हथेली


ताक़त बाढ़ की

इतनी बड़ी कभी नहीं होती,

जो लकीरें आदमी के हाथों की

बहा देती!


03. सूली


रेखाचित्र : संध्या तिवारी 


आज भी 

उसे मालूम है

उस दिन भी उसे मालूम था

कीलें बनाने,

और ठोंकने वाला

सिर्फ, आदमी था!

  • गणेश चौक, हरदा, म.प्र./मो. 09926482831 

Sunday, October 24, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /199                         अक्टूबर 2021

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रविवार  : 24.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


रजनी साहू




01.


मज़े में है फ़रेब

और धर्म है लाचार

गर्म है

अफ़वाहों का बाजार!


02.


अन्तर्मन में

मौन छा गया,

शान्त-स्तब्ध क्षण में भी

उत्सव दिवस बस गया!


03.


रेखाचित्र : बी. मोहन नेगी 
इन शब्दों के प्रवाह को

सहेजकर रखना तुम,

जाने कब बन जायें

असीम सागर,

ये हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे

रहूँ या न रहूँ मैं!

  • बी-501,कल्पवृक्ष सीएचएस, खण्ड कॉलौनी, सेक्टर 9, कॉर्पाेरेद्वान बैंक के पीछे, प्लाट नं. 4, न्यू पानवेल (पश्चिम)-410206, नवी मुंबई (महाराष्ट्र)/मोबा. 09892096034

Sunday, October 17, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /198                         अक्टूबर 2021

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रविवार  : 17.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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अशोक कुमार गुप्त ‘अशोक’





01.

 

नदी सिसकती

झरना उदास,

कैसे मिटे

जन-जीवन की प्यास


02.


सागर सहमा

नदी मौन,

मेघों की दहाड़

कौन सुने!


03.

उनके हाल-चाल

अच्छे हैं

जिनके साथ

रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 
बाल-बच्चे हैं!


04.


वह सिर पर

आकाश उठाता है

जब

पीकर आता है!

  • 124/15, संजय गाँधी नगर, नौबस्ता, कानपुर-208021, उ.प्र.

Sunday, October 10, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /197                         अक्टूबर 2021

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रविवार  : 10.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



आनन्द प्रकाश शाक्य ‘आनन्द’ 




01.

भूले सब रिश्ते-नाते

जब से शहर आये

मन कुम्हलाये!


02.

चीटी चढ़ती

ऊँचाईयाँ

अजगर लेटा!


रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 
03.

गगनचुंबी मुंडेरों पर 

बैठा काग

क्या बन पाया हंस

कृष्ण रहे कृष्ण

कंस रहे कंस!

  • धर्मपुर, पोस्ट ज्योती, मैनपुरी-205263, उ.प्र./मो. 07248815852

Sunday, October 3, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /196                         अक्टूबर 2021

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रविवार  : 03.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


वी. एन. सिंह



01. रक्त-बीज


मैं नहीं जानता

दर्द के बीज किसने बोये

जिन्दगी में

वे रक्त-बीज बन गए।


02. सूना आकाश


सूने आकाश के तले

एकाकी मन

पंख फैलाये

दूर तक

उड़ता रहा पर

कहीं कोई पड़ाव न मिला।


चित्र : प्रीति अग्रवाल 
03. अँधेरा-1


जमाने की यह पहेली

बूझो तो जानें

खुदगर्जों ने

धूप में

अँधेरा बिछा दिया।

  • 111/98-फ्लैट 22, अशोक नगर, कानपुर-208012, उ.प्र./मो. 09935308449