Sunday, April 30, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-52

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  30.04.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित रोजलीन जी की क्षणिका।





रोजलीन


रेखाचित्र : बी. मोहन नेगी 


झरना
अनंत कालों से बहता झरना
इतना शांत/कभी नहीं देखा,
ऐसा क्या हुआ
कि/जल के
न गिरने का शोर सुनता है
और न बहने का!


  • 535, गली नं. 07, निकट सैक्टर-6, कर्ण विहार, करनाल-132001,हरि./मोबा. 09467011918

Sunday, April 23, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-51

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  23.04.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित डॉ. जगदीश पन्त ‘कुमुद’ जी की क्षणिकाएँ। 


जगदीश पन्त ‘कुमुद’





01.
कैसे करूँ ऐतबार
वो मिलता है मुझसे
अपनों की तरह हर बार

02.
मौत निश्चित है   
एक दिन आनी है
यह बात 
दूसरे को समझानी है

03.
लोकतंत्र                                    
चार खम्भों पर टिका है                         
किसी को दिखा है?  
  • प्राथ. स्वास्थ्य केंद्र, चकरपुर, खटीमा, उधमसिंह नगर-262308, उ. खंड/मोबा. 09412906187

Sunday, April 16, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-50

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  16.04.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित कुँवर प्रेमिल
 जी की क्षणिकाएँ। 




कुँवर प्रेमिल







01. सुबह सलौनी
अँधेरे कक्ष खोलकर
स्वर्णिम ऊषा ने
सोना बिखेरा है
कली-कली भँवर
फूल-फूल तितली है
हाथ में लेकर पिचकारी
रंगीन सुबह 
घूमने निकली है।

02. कमजोर
चीटी ने चिड़िया को
छायाचित्र  : उमेश महादोषी 
चिड़िया ने चुहिया को डाँटा
दरअसल
कमजोर किसी को 
मार नहीं सकते हैं- चाँटा!

03. मंत्रणा
आओ हम और तुम
मिलकर एक गुप्त मंत्रणा करें
और इसके पहले
दीवारों के कान 
रुई के फाहों से भरें!
  • एम.आई.जी.-8, विजयनगर, जबलपुर-482002, म.प्र./मोबाइल : 09301822782

Sunday, April 9, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-49

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  09.04.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’ जी की क्षणिकाएँ।


कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’



01.
चाँदनी रात में
खिड़की से आ रही है
रातरानी की महक
पर तुम आना मत

तुम्हारे होने का अहसास
तुम्हारे होने से
ज्यादा मधुर है।

02.
इस देश की धर्मात्माओं ने 
छाया चित्र : उमेश महादोषी 
इस शब्द का 
अर्थ ही बदल दिया है
माफ करना गाँधी
मैंने तुम्हें भी 
महात्मा कहना छोड़ दिया है!

03.
सरकार ने/खोल तो दी है-
अपनी थैली
देखते हैं/कब साफ होती है
राम, तेरी गंगा मैली!

  • बंगला नं. 89, ग्वालियर रोड, नौलक्खा, आगरा-282001/मोबा. 09411652530

Sunday, April 2, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-48

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  02.04.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’
जी की क्षणिकाएँ।



सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’




01. कुर्सी 
लूट/हत्या
फरेब/बलात्कार
चार दाँव हैं
कुर्सी!/तेेरे-
चार पाँव हैं।

02. जीवन दर्शन
आह
वाह
चाह
जीवन का
प्रवाह!
  • ग्राम व पोस्ट- पथरहट, गौरी बाजार, जनपद- देवरिया (उ.प्र.)/मोबा. 09450234855