Sunday, April 30, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /278                     अप्रैल 2023 

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 30.04.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


कंचन अपराजिता





01.

        

जब तेरे हाथ से

मेरा हाथ छूटा

दिल में उस पल की

किरचें

आज भी चुभती हैं।


02.


ममता से भरे

हाथ भवानी

जब तेरे भक्तों पर पड़ते हैं

रेखाचित्र : उमेश महादोषी 
लौह कंचन हो जाता

काँच हीरा सदृश्य

चमकते हैं।


03.


तेरी गलियों से 

गुजरने मात्र से ही 

मेरे बदन से 

इत्र की

खुशबू आती है।

  • 39/1ए सिन्दूर ग्रीन पार्क, जयचन्द्रन नगर, पालीकरनाय, चेन्नई-600100, त.नाडु

(39/1, Sindur green park, Jayachandran Nagar, Pallikarnai, Chennai-600100, T. Nadu)

Sunday, April 23, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /277                     अप्रैल 2023 

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रविवार  : 23.04.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


रमेश कुमार भद्रावले





01. तोता


मेरा गंगाराम भी

जमाने के साथ-साथ

बिगड़ता जाता है

हरी मिर्च देखकर नहीं

पिज्जा देखकर 

चोंच बढ़ाता है


02. धूप-छाँव


जीवन में

रेखाचित्र : सिद्धेश्वर 

जिन्दगी भी/सचमुच

पतंग जैसी होती है

कभी ऊपर, कभी नीचे

कटकर 

कभी लुट तक जाती है।

  • गणेश चौक, हरदा, म.प्र./मो. 09926482831

Sunday, April 16, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /276                     अप्रैल 2023 

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रविवार  : 16.04.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


चक्रधर शुक्ल




01.


पति-पत्नी 

दोनों कमाते,

तनाव इतना

खा नहीं पाते।


02. बेवाइयों का दर्द 


पैर की

फटी बेवाइयों का दर्द 

बाप जाने

या गाँव का किसान

जिसने

उठा रक्खी हैं दर्द की शिलाएँ

कहाँ तक कराहें

कहाँ तक चिल्लाएँ।


03. पराली

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 


धूल, प्रदूषण

फेफड़ों पर हाबी,

उस पर

पराली जलाएँ 

मौत संभावी।

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मो. 09455511337 

Sunday, April 9, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /275                     अप्रैल 2023 

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रविवार  : 09.04.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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मिथिलेश दीक्षित





01.

कई बार

वह घड़ी 

परीक्षा की आयी,

जब हमने भी

मृत्यु द्वार से

लौटायी! 


02.

बोलबाला

कागों का

हो गया 

सफ़ाया आज

हरे-भरे बागों का।


छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता  


03.

वक्त की आवाज़ को 

पहचानती हूँ,

मेरे घर के

कट गये हैं

रोशनी के तार क्यों

यह जानती हूँ!

  • जी-91,सी, संजयपुरम लखनऊ-226016 (उ.प्र.) 

Sunday, April 2, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /274                     अप्रैल 2023 

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रविवार  : 02.04.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



प्रगति गुप्ता





01.


कुछ एहसासों को अब 

मेरे पास छोड़ तो ज़रा 

कुछ गुम हुए पलों को 

फिर से लौट आने दे ज़रा 

ज़िंदगी ने फिर से वही 

साँसें ली हैं- 

तू मुझे... 

मुझे खुद में महसूस होने दे ज़रा... 


02.


ना मैं मन्नत 

माँगता- 

रेखाचित्र : डॉ. संध्या तिवारी 

ना धागे बाँधकर 

खोलता- 

बस उस खुदा का साथ 

खोजता-

उसके साथ चलने और होने के 

एहसास 

माँगता... 

  • 58, सरदार क्लब स्कीम, जोधपुर-342001, राज./मो. 07425834878