Sunday, June 26, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /234                           जून 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 26.06.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


वीणा शर्मा वशिष्ठ




01. नाखून


ये नाखून

सौंदर्य की कसौटी

क्यों न हों?

देह नोचने वालों का

मुहँ नोच लें

सौंदर्य को औजार बना लें।


02. चुप


चुप होना.... समर्पण है 

चुप होना.... ग्लानि भाव है 

चुप होना.... जुड़ाव की प्रक्रिया है 

चुप होना.... सम्मान है 

चुप होना.... प्रेम है 

चुप होना.... दिल टूटना है 

चुप होना... धैर्य है 

कभी चुप रह कर देखना... 

चुप होना... जीवन में परिवर्तन है। 


03. स्मृतियाँ


कचोटती रिक्तता में... 

रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 

सुनहरी स्मृतियाँ 

मलहम बन जाती हैं। 


04. शब्द


शब्द, शब्द नहीं

धार है

पैनी कटार है

मन घायल करती

राजनेताओं के

भाषणों की ज़ुबान है।

  • 597, सेक्टर-8, पंचकूला-134109, हरियाणा/मो. 07986249984 

Sunday, June 19, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /233                           जून 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 19.06.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


ज्योत्स्ना शर्मा





01.


कितना गुस्सा थी मैं

किसी की नहीं सुनी

मन का पहना, मन का खाया

कितना शोर मचाया

खूब भटकी अपनी ‘आज़ादी’ के साथ

लौटी जो घर...

न जाने किन ख्यालों में खो गई

और फिर...

तुम्हारे कन्धे पर

सिर रखकर सो गई।


02.


सकरी गलियों में

बड़े-बड़े वाहन

अटक ही जाएँगे

सुनो!

मन को विस्तार दो

तभी बड़े विचार आयेंगे।


03.


आज के दौर में

दीमकों ने खाई

तो, किताब मुस्कराई

रेखाचित्र : राजेंद्र परदेसी 
और बोली... चलो!

किसी के तो काम आई।


04.

झूठ के नगर में

किसी ने

हमारे प्यारे ‘सच’ की

बात चला दी

सब चिल्लाए, ‘ऐसा कुछ नहीं होता है’

मज़े की बात

हमने भी

हाँ में हाँ मिला दी।

  • एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053 

Sunday, June 12, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /232                           जून 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 12.06.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



चक्रधर शुक्ल




01.


दृश्यता

इतनी कम,

बाहर निकले

कपड़े नम।


02.


आँखों  का सम्मोहन 

रह-रह कर 

जादू दिखाए,

ढाई आखर 

हम पढ़ ना पाए  

आईना चिढ़ाए।


03.


उसका 

खिड़की पर 

बार-बार आना

यह बताता है  ,

बसंत 

बौराता है।


04.


आँखों ही आँखों में 

संवाद 

प्रेम 

निर्विवाद।


05. 


देह के आकर्षण का 

रेखाचित्र : कृष्ण कुमार अज़नबी 
भ्रम जाल टूटा,

अन्ततःकरण

शुद्ध होते ही

प्रेमांकुर फूटा।


06.

मृगतृष्णा का भ्रम 

उसे सताता  ,

अन्दर की यात्रा 

करता नहीं 

बाहर डूब जाता।

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मोबाइल: 09455511337 

Sunday, June 5, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /231                           जून 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 05.06.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



ज्योत्स्ना प्रदीप 




01. ठूँठ

उसका

छल, कपट, झूठ

बना गया 

प्रेम के घने वृक्ष को

पल भर में 

ठूँठ!


02. वध

तुम 

लौटा ही नहीं सकते

मेरा 

वो प्रेम से भरा

कोमल मन

दोबारा, 

उसे कल रात

तूने ही तो मारा !!

छायाचित्र : उमेश महादोषी 



03. तर्पण

मेरे

विशुद्ध प्रेम के भाव, 

त्याग और समर्पण...

मेरे ही

आँसुओं की नदी में

कर गया वो आज

उनका तर्पण!

  • देहरादून, उ.खण्ड/ईमेल: jyotsanapardeep@gmail.com /मो. 06284048117