Sunday, December 25, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /260                     दिसम्बर 2022 

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 25.12.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  



बबिता गर्ग ‘किरण’





भुखमरी पर केन्द्रित क्षणिकाएँ


01.


उसके सपनों को जब

तोड़ नहीं पाई

भुखमरी ने

आत्महत्या कर ली।

रेखाचित्र : के. के. अजनबी 

2. 


आग में शरीर जलता है

और

भूख में आत्मा।

  • 970, सैक्टर 21-डी, फरीदाबाद, हरियाणा/मो. 09212090094

Sunday, December 18, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /259                     दिसम्बर 2022 

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रविवार  : 18.12.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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अंजू दुआ जैमिनी





01. तुम्हारे लिए 


लाल पीला नीला हरा 

रंग भरकर हथेली में 

लाए हैं तुम्हारे लिए, 

ये सौदा है 

जन्मों का 

जो साथ चलेगा हमारे 

बैंजनी होने पर 

जन्म-जन्मांतर तक। 


02. बीज 


स्त्री के साथ  

सम्बन्ध को 

पुरुष शिद्दत से 

सींच नहीं पाता

तब स्त्री के भीतर 

फूटता बीज 

और पेड़ नीम 

अनचाहे उग आता


03. नश्तर 


चुभो देती है 

नश्तर 

छीन लेती है 

सुकून 

मेरे भीतर 

मछलियाँ हैं हाँफती 

रेत पर तड़पती,

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 


कर देती है 

जुदा 

मुझे मुझसे 

चुप्पी तुम्हारी 

  • 839, संक्टर-21, पार्ट-2, फरीदाबाद-121001, हरियाणा/मो. 09810236253 

Sunday, December 11, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /258                     दिसम्बर 2022 

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रविवार  : 11.12.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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प्रगति गुप्ता





01.

आज कुछ ऐसा लिखें 

कि पढ़ तो सब लें 

पर समझ सिर्फ तेरी आये 

मैं तुझ तक पहुँच जाऊँ 

और तू मुझे 

महसूस कर जाये... 


02.

तुम खुशबू की तरह ही रहे 

मेरे आस-पास 

हर लम्हा हर वक्त

जो एहसासों में

महसूस तो हो, 

पर नज़र ना आए कभी... 


03. 

वो कुछ ऐसे एहसास है थे

तुमसे जुड़े 

जो मेरे लबों की 

मुस्कुराहट बन पड़े- 

जिन्हें चुराया था 

तुझसे ही मैंने... 

तुझे खबर ही नहीं 

पर देख- 

मेरे जीने के मायने बदल गये... 


04.

रेखाचित्र : डॉ.  सुरेन्द्र  वर्मा 

साये से घूमते हो 

मेरे आस-पास 

फिर क्यों पूछते हैं 

दुनिया वाले 

तन्हा-तन्हा से लगते हो 

खोये-खोये से रहते हो... 

  • 58, सरदार क्लब स्कीम, जोधपुर-342001, राज./मो. 07425834878 

Sunday, December 4, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /257                     दिसम्बर 2022 

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रविवार  : 04.12.2022
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अनीता ललित




01.

तुमसे  जुदा हुई...

तो कुछ मर गया था मुझमें...

जो मर गया था...

उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो...!


02. 

आँखों में चमक,

दिल में अजब-सा सुकून हो जैसे...

माज़ी के मुस्कुराते लम्हों ने...

फिर से पुकारा हो जैसे...

रेखाचित्र : के. के. अजनबी  


03. 

दर्द की हर तह में रख दिए मैंने...

अश्कों के मोती...

मौसम कोई भी हो...

तेरी याद महफूज़ है...

इस दिल में...

  • 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.

Sunday, November 27, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /256                     नवम्बर 2022 

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रविवार  : 27.11.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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पुष्पा मेहरा





01.

घुप्प अँधेरा

नुकीले पत्थर बिछे रास्ते 

ऐसे में घर वाले कहते हैं 

बढ़ते चलो...


02.

मेरे चारों ओर 

छायाचित्र : उमेश महादोषी 
फूलों की खुशबू है 

और काँटों का घेरा है!



03. 

मेरे घर और उसके बीच 

एक चौड़ी सड़क है 

मन के दरमियान गहरी खाईं

और घुप्प अँधेरा है!!

  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598 

Sunday, November 20, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /255                     नवम्बर 2022 

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रविवार  : 20.11.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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केशव शरण





01.


मेज या खिड़की पर

बरगद तभी होगा

जब बोनसाई होगा

यह बोनसाई

तीन पंक्तियों और सत्रह अक्षरों में

एक बड़ी कविता है


02.


अभिमान में तिरस्कार है

तिरस्कार में अकेलापन

अकेलेपन में अवसाद

लेकिन कब रहता है याद

और अभिमान हो ही जाता है

जैसे प्यार!


03. दूरी मिट गयी


मैं असंख्य पग चला

रेखाचित्र : (स्व.) बी.मोहन नेगी 

तुम्हारी ओर

मगर कुछ नहीं हुआ

तुमने एक पग बढ़ाया

मेरी ओर

और दूरी

मिट गयी

  • एस 2/564 सिकरौल वाराणसी-221002/मो. 09415295137