Sunday, July 31, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /239                            जुलाई 2022 

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 31.07.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


चक्रधर शुक्ल




01. दुर्गुण


दुर्गुण 

उसे फुटपाथ पर ले आया

फुटपाथ से उठा था

फुटपाथ पर आया।


02. धुंध


वातावरण में

अजीब धुंध छायी है

जिंदगी

हिंसा, अपहरण, लूटमार से

रेखाचित्र :  बी. मोहन नेगी 

घबरायी है।


03. दुविधा


पौधों के गमलों में

चीटियों का घरौंदा

पानी डालूँ या न डालूँ

मन में दुविधा

किसको दूँ सुविधा!

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मोबाइल: 09455511337

Sunday, July 24, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /238                           जुलाई 2022 

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रविवार  : 24.07.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



उमेश महादोषी






01.


रणक्षेत्र में

यदि खड़े हों 

आपके सामने

भयावह

अट्ठहास करते...

आपकी अँगुलियों में

जरूरी हो जाते हैं

कुछ लम्बे-तीखे नाखून


समझ रहे हैं न आप!


02.


युद्ध 

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
अब युद्ध की तरह ही

लड़ा जायेगा

मानसिक द्वंद्व पैदा करके

तालियाँ पीटने का 

तुम्हारा हथियार

काम नहीं आयेगा।


  • 121, इंदिरापुरम, निकट बीडीए कॉलोनी, बदायूं रोड, बरेली-243001/मो. 09458929004 

Sunday, July 17, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /237                           जुलाई 2022 

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रविवार  : 17.07.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


राजेश ‘ललित’




01. गिरगिट


गिरगिट ने?

गर्मी से बचने को 

रंग बदले,

आदमी ने;

आदमी से बचने को 

मुखौटे।



02. गौरैया


खत्म हो गई सर्दी,

छायाचित्र : उमेश महादोषी 

मैं आ गई,

चीं चीं करती।

फिर से बनाती,

नया घोंसला नया,

जैसे जन्म हो नया; 

एक अरसे के बाद।

  • बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484

Sunday, July 10, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /236                           जुलाई 2022 

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रविवार  : 10.07.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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पुष्पा मेहरा





01.


उसे मजदूर कहूँ  कि मजबूर

जिसने शहर आकर

ऊँची दृऊँची इमारतों की

ईंट से ईंट जोड़ी

घर-परिवार से जुदा होने की

मज़बूरी झेली।


02.


सड़क किनारे

पत्थर तोड़ती मजदूरिने नहीं जानतीं 

‘मजदूर दिवस’

वे तो सामने बिछी रोड़ी, बदरपुर

और ईंटों में जठराग्नि बुझाने की

विधा ही जानती हैं और

गिट्टियों के अम्बार पर लेटे

अपने दुधमुँहे की किलकारी 

देखने की खातिर-

आधे-पौने में ही संतोष करती हैं 

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 


03.


एक कींचड़ में सने पाँव ले

गारा  ढोता है, दूसरा 

ऊँची इमारतों की नींव गढ़ता है

ख़ुद बच्चों की नींव मजबूत रखने की

कोशिश में  मज़दूर

ख़ानाबदोश ही रह  जाता है।

  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598

Sunday, July 3, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /235                           जुलाई 2022 

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रविवार  : 03.07.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



शिव डोयले




01. दृश्य 


पहाड़ बना कवि 

अपनी कविता में 

कुछ इस तरह 

कह गया 

रात नहाती रही 

नदिया किनारे 

चाँद ने देखा 

ईर्ष्यावश 

आधा रह गया। 


02. साथ में 

चित्र : प्रीति अग्रवाल 


अकेला नहीं हूँ मैं 

मेरे साथ हैं 

गरीबी, बीमारी, 

बच्चों की पढ़ाई 

पत्नी की पीड़ा 

और साहूकार की 

उधारी! 

  • 19, झूलेलाल कॉलोनी, हरीपुरा, विदिशा-464001, म.प्र./मो. 09685444352