Sunday, August 30, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /139                       अगस्त 2020



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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 30.08.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


हरकीरत हीर






01.

कोई ख़्याल
रातभर देता रहा दस्तक 
रातभर इक नज़्म जीती 
मरती रही .....

02.

हाँ मैंने 
कर दिया है क़त्ल
अपनी मुहब्बत का
यकीं न हो तो अपने चेहरे से
कफ़न उतार कर 
देख लेना ....

03.

रात बहुत देर तक
ढूँढती रही कुछ अक्षर 
नज़्म के लिए
पर जैसे सभी रूठ कर
रेखाचित्र : रमेश गौतम 
जा बैठे थे कन्दराओं में ...
रब्बा ...!
कितना कुछ खो जाता है
इक शब्द के न रहने से .....

04.

आज यूँ जी
बहुत देर तक तकती रही 
तारों से भरा आसमां
डर था ...
कहीं ये अँधेरे घर न कर जाएं
साथ रहते रहते ....
  • 18, ईस्ट लेन, सुंदरपुर, हाउस नं. 05, गुवाहाटी-5, असम/मो. 09864171300

Sunday, August 23, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /138                       अगस्त 2020



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रविवार  : 23.08.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


शशि पाधा
 



01.

पीहर गई थी 
चाँदनी
विरही चाँद 
घुलता रहा, घुलता रहा 
उसकी वेदना 
घूँट-घूँट 
पीती रही 
रात 
और स्याह हो गई!

02.

धुँधला गये हैं 
रिश्ते 
बादलों से घिरी है 
नेह धूप
और कहीं खो गया है 
स्फटिक सा पारदर्शी 
अपनापन 

03.

पतझड़ के झरे पत्तों का 
बिछौना 
बर्फ़ की सफ़ेद 
चादर ओढ़े 
सो रही है 
धरती 
सपनों में आ रहा है 
चित्र : प्रीति अग्रवाल 
एक घुड़सवार
उसका राजकुमार 
सूरज

04.

रिश्तों की किताब 
रोज़ पढ़ो
सीखो 
अमल करो 
किन्तु-
ये पाठ क्यों रोज़ बदलते रहते हैं?
  • 174/3, त्रिकुटानगर, जम्मू-180012, जम्मू-कश्मीर

Sunday, August 16, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /137                                  अगस्त  2020

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रविवार  : 16.08.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
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बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’









01. घृणा 

माँगते मक्खन 
मिल रहा 
अश्वस्थामा के माथे का घाव 
बेभाव 
टूट-टूट बिखर रहा 
देश संग गाँव

02. सकारात्मक 

गमले में लगे 
वट वृक्ष का इतना विस्तार 
मूल से निकलती नदियाँ 
टॉप पर पर्वत का फैलाव 
चित्र : प्रीति अग्रवाल 
जटाओं पर झूलते संस्कार, 
सत्य, सुख, समृद्धि 
आचार-विचार!

03. सैनिक 

दूध उबला 
खून खौला 
सीमा पार 
माँ का कर्ज चुकाने।

  • डॉ. बख्शी मार्ग, खैरागढ़-491881, जिला राजनांदगांव, छ.गढ़/मो. 09424111454

Sunday, August 9, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /136                       अगस्त 2020



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ज्योत्स्ना शर्मा 






01.

लो बताओ !
ये कैसा...
फ़रमान सुना दिया
जन्नत की चाहत में 
जन्नत को...
जहन्नुम बना दिया!

02.

बड़ी चाहत से
जिसे...
आँखों में सजाया
उसी ज़ालिम ने
गुलाबी दामन पे
दाग क्यों लगाया? 

03. 

मन से छुआ
अहसास से जाना
यूँ मैंने पहचाना
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता 
मिलोगे कभी
इसी आस जीकर
मुझको मिट जाना।

04.

तनहा थी ज़िंदगी...
गुमथे उजाले 
मैं भी बैठी रही 
तेरी...
चाहत के कंदील बाले!
  • एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053

Sunday, August 2, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /135                       अगस्त 2020



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रविवार  : 02.08.2020
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अमरेन्द्र सुमन



01. तुम्हारे टूटने से...

तुम्हारा टूटना
उफनती नदियों का
असमय सूख जाने जैसा है।

तुम्हारे टूटने से
रेखाचित्र : डॉ सुरेंद्र वर्मा 
टूट जायेंगे छोटे-बड़े कई सपने
मर जायेगा- 
सपनों के भीतर का संसार।

02.

पड़ा खाट पर
अस्वस्थ अकेला
पिता बोझ अब, पिता झमेला।

  • ’’मणि विला’’ प्राईमरी स्कूल के पीछे, केवटपाड़ा (मोरटंगा रोड) दुमका-814101, झारखण्ड/मो. 09431779546