Sunday, February 27, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /217                        फरवरी 2022 

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 27.02.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


चक्रधर शुक्ल




शीत ऋतु : कुछ क्षणिकाएँ  


01.

पहाड़ों पर 

बर्फ़ का गिरना

लगातार जारी ,

ठंड से

दुनिया हारी।


02.

पहाड़ 

बर्फ़ का श्रृंगार करके

इतराए,

मैदानी इलाकों में 

लोग कंपकंपाए।


03. 


बच्चे 

बर्फ़ के गोले

बना-बनाकर

उछाल रहे ,

सैलानी 

कुल्लू-मनाली

नैनीताल जा रहे।


04.

तापमान जीरो

पहाड़ों पर

छायाचित्र : उमेश महादोषी 
सैलानी काँपें ,

मौसम वैज्ञानिक 

पारा नापें।


05.

पाला गिरा

अँगुलियाँ फूटी ,

धूप ने

वैद्य बनकर

खिलायी जड़ी-बूटी।

  • एल.आई.जी.-01ए, सिंगल स्टोरी, बर्रा-06ए कानपुर-208027 उ. प्र./मो. 09455511337 

Sunday, February 20, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /216                         फरवरी 2022 

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रविवार 20.02.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


ज्योत्स्ना शर्मा 



01.


थक गया कहते-कहते

निरीह!

सब सहता है! 

अब शोर तो करता है मन 

लेकिन कुछ नहीं कहता है,

भीतर-भीतर रोता है।


02.


उठो!

काम खत्म?

नाश्ता करना है कि नहीं?

क्या नहा लिया?

रेखाचित्र : रमेश गौतम
सारी चिल्लपों का

एक समाधान पा लिया ,

ब्लूटूथ लगा लिया!


03.


कितनी अच्छी है वो!

मैं उससे...

देर तक बतियाती रही

...और प्यारी तन्हाई

मेरी हाँ मे हाँ मिलाती रही।

  • एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053

Sunday, February 13, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /215                         फरवरी 2022 

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रविवार  : 13.02.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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पुष्पा मेहरा




01.


सूरज सरीखे पिता जीवन भर 

परिवार का अँधेरा हरते , 

हमारी तमन्नाओं की धरती पर 

भविष्य की जड़ें पुख्ता करते रहे 

हम भर नींद सोते ही रहे!


02.


आग की ज्वलनशीलता का 

आभास होता तो

चमक की दीवानी मैं-

सबकी आँख बचा 

अपना हाथ क्यों जला बैठती 

शायद मैं अति अबोध थी!

रेखाचित्र : संध्या तिवारी


03.


नफ़रत और हिंसा 

एक धधकन तो दूसरी ज्वाला 

उठती ज्वालाओं पर

शिकंजा कसा 

लेकिन धधकन पर कैसे  

वह मेरे इतनी क़रीब होगी 

मालूम ना था ......

  •  बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598 

Sunday, February 6, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /214                         फरवरी 2022 

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रविवार  : 06.02.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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महिमा श्रीवास्तव वर्मा





01.

काट ले गया

चुपके-चुपके आकर  

लकडहारा वक्त

उम्र दरख़्त!


02.

‘चाह’ करते हुए

गुज़र गई सारी ज़िंदगी

अब तो बस एक ‘चाह’ ही बाकी है

कि, चाही हुई चाहों में से

कम से कम

एक ‘चाह’ तो पूरी हो।


03.


प्यार की आँधी में,

मन-पर्ण झूम रहा है,

क्योंकि

वो अनभिज्ञ है अब तक इस तथ्य से

कि

यह क्षणिक आँधी

विलग भी कर सकती है

रेखाचित्र : राजवंत राज 
उसे, अपने प्रियजन- वृक्ष से


04.

चुन लिये थे

सभी ने क़िरदार अपने

पर अब

एक दूसरे के साँचे में

ढल रहे हैं

स्वार्थ पूर्ति हेतु

परस्पर

छल कर रहे हैं

  • ऑलिव-261, रुचि लाइफस्कैप्स, जाटखेड़ी, होशंगाबाद रोड, भोपाल-462026, म.प्र./मो. 07974717186