Saturday, November 27, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /204                         नवम्बर 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 28.11.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


आनन्द प्रकाश शाक्य ‘आनन्द’




01. 

अपहृत सीताएँ

पुकारतीं- हाय राम! हाय राम!

मचा कुहराम!


02. 

सूली में लटकी हैं-

संवेदनाएँ,

रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 

कोख में मर रही

माताएँ!


03. 

वक्त 

बड़ा सख्त

उलटता तख्त!

  • ग्राम धर्मपुर, पोस्ट ज्योती, मैनपुरी-205263, उ.प्र./मो. 07248815852

Sunday, November 21, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /203                         नवम्बर 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 21.11.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  



सूर्यनारायण गुप्त ‘सूर्य’




01. परिवर्तन


जब से-

झूठ/लोगों को

बहलाने लगा,

सच 

हकलाने लगा!


02. बन्दूक और कलम


देख-

बन्दूक की

कमाई

कलम शरमाई!


03. अभिशप्त स्वतंत्रता


स्वतंत्र

रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता 

भारत का

सम्पूर्ण खाका,

कहीं-

मौज-मस्ती

कहीं-

फाका!

  • ग्राम व पोस्ट- पथरहट, गौरी बाजार, जनपद- देवरिया (उ.प्र.)/मोबा. 09450234855

Sunday, November 14, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /202                         नवम्बर 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 14.11.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  



कंचन अपराजिता



01.

        

कोई हवा नहीं

दूर तक खामोशी है।

लगता यूँ वर्षों से,

तन्हा चले जा रहे हैं।


02.


वह चुपके से आकर

मेरे तकिये के आगे

एक गुलाब रख जाती है

ऐसे ही वह

खुशबू बन

दिवस भर

मेरे एहसास में समाती है।


03.

रेखाचित्र : (स्व.) बी.मोहन नेगी 

रिश्तों में कभी 

शक की धुंध

मत रखना

अपना हाथ भी

गैर का दिख जाता है।


  • 39/1ए सिन्दूर ग्रीन पार्क, जयचन्द्रन नगर, पालीकरनाय, चेन्नई-600100, त.नाडु

(39/1, Sindur green park, Jayachandran Nagar, Pallikarnai, Chennai-600100, T. Nadu) 

Sunday, November 7, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /201                         नवम्बर 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 07.11.2021 
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


शिव डोयले




01. सबूत 

पत्तियों पर हैं 

कुछ दस्तखत 

आप गवाही की 

पूछते हैं 

ओस ने तो 

वृक्ष खड़ा 

कर दिया। 


02. सड़क 

मेरे घर के 

सामने वाली 

सड़क 

ऐसी लगती है 

मानो किसी 

मजदूर लड़के की 

फटी बनियान! 


03. यादें 

एकांत ने 

आहिस्ता से 

समय की 

चित्र : प्रीति अग्रवाल 
झील में 

कंकर फेंका 

लहरें उठीं 

धीरे-धीरे 

एक-एक करके 

यादों में 

बदल गईं। 

  • 19, झूलेलाल कॉलोनी, हरीपुरा, विदिशा-464001, म.प्र./मो. 09685444352