Sunday, January 29, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /265                     जनवरी 2023 

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 29.01.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


मिथिलेश दीक्षित




01.

सीताएँ 

भटकतीं दर-दर

जलती 

चिताओं में,

रामजी सोये हैं

मन्दिर की

गुफाओं में!


02.

ममता को मापने का

यन्त्र नहीं कोई

बेटे ही अक्सर

हिसाब माँगा करते हैं!

रेखाचित्र : राजेन्द्र परदेसी 


03.

उम्र की 

इस आख़िरी

दहलीज़ पर 

अब जो मिला

वह भी बन्दा

हाथ फैला

माँगने वाला मिला!

  • जी-91,सी, संजयपुरम लखनऊ-226016 (उ.प्र.) 

Sunday, January 22, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /264                     जनवरी 2023 

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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 22.01.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


चक्रधर शुक्ल





01.


जिन्दगी 

समायोजन करना 

सिखलाती,

जो नहीं करते

उनकी जिन्दगी 

हाँफ-हाँफ जाती!


02. अवसर


रंग डालने का

इससे अच्छा अवसर

रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा  

कभी नहीं आता

होली में 

जो भी आता

गाल लाल कर जाता!


03.


लालसा ने

ऐसा खेल रचा,

स्वयं फसा!

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मो. 09455511337

Sunday, January 15, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /263                     जनवरी 2023 

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रविवार 15.01.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ 




01. जीवन


मिलन के आनन्द से

प्रारम्भ हुआ जीवन

माता के गर्भ में

पूरा जीवन कुछ नहीं

कभी न मिलने वाले

आनन्द की खोज के सिवाय।


02. मृगतृष्णा


प्रिय-वियोग के पतझर में-

जीवन-वृक्ष से निरंतर

पत्तों-सी झरती रही

आशा और प्रतीक्षा

प्रेम-वसंत की मृगतृष्णा में।

रेखाचित्र : सिद्धेश्वर 

03. तुम्हारा स्पर्श


विरह के बाद

इतना ही सुखद है

तुम्हारा स्पर्श!

जैसे- कैदी जेल से छूटकर

वर्षों बाद अपने घर से मिला हो

या फिर कोई रोगी

लम्बी बीमारी के बाद

स्वस्थ होकर घर लौटा हो।

  • II S-3, B.T. HOSTEL, UNIVERSITY CAMPUS, MADHI CHAURAS, P.O. KILKILESHWAR, TEHRI,Garhwal- 249161 Uttarakhand

Sunday, January 8, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /262                     जनवरी 2023 

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रविवार  : 08.01.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’




01.

उम्र तमाम

कर दी हमने

रेतीले रिश्तों के नाम।


02.

डरी-डरी आँखों में

तिरते अनगिन आँसू

इनको पोंछो

वर्ना जग जल जाएगा।

चित्र : प्रीति अग्रवाल 


03.

औरत की कथा

हर आँगन में

तुलसी चौरे-सी

सींची जाती रही व्यथा।

  • 1704-बी, जैन नगर, गली नं. 4/10, कश्मीरी ब्लॉक, रोहिणी सैक्टर-38, कराला, दिल्ली-110081/मो. 09313727493

Sunday, January 1, 2023

 

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /261                     जनवरी 2023 

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रविवार  : 01.01.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


केशव शरण





01. 

दयालु हैं वे

कि प्राण बख़्श देते हैं

चोटिल 

चाहे जितना करते हों


02. 


आकाश भर नहीं गया

परवाज़ से

चहकने की आवाज़ से

पिंजरा ज़रूर खाली हो गया


जाने कौन डाल

आबाद हुई होगी!


03. 

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


करुणा उभरी तो

आंसू बह निकला

आंसू बह गया तो

करुणा भी बह गयी

नाट्यशाला के बाहर

कुछ नहीं बदला

  • एस 2/564, सिकरौल, वाराणसी कैन्ट-221002 (उ0प्र0)