Sunday, June 30, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 78                 जून 2019


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रविवार : 30.06.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!

जेन्नी शबनम







01. रिश्ते 


रिश्तों की भीड़ में
प्यार गुम हो गया है,
प्यार ढूँढ़ती हूँ
बस
रिश्ते ही हाथ आते हैं। 

02. परवाह 

कई बार प्रेम के रिश्ते फाँस-से
चुभते हैं
इसलिए नहीं कि
रिश्ते ने दर्द दिया
इसलिए कि
रिश्ते ने परवाह नहीं की
और प्रेम की आधारशिला परवाह होती है!

03. पूरा का पूरा 

तेरे अधूरेपन को
अपना पूरा दे आई
यूँ लगा 
मानो दुनिया पा गई
पर अब जाना
तेरा आधा भी तेरा नहीं था  
फिर तू कहाँ समेटता 
मेरे पूरे ‘मैं’ को
तूने जड़ दिया मुझे
मोबाइल के नंबर में
पूरा का पूरा!

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया
04. जो सिर्फ मेरा 

ज़िन्दगी का अर्थ 
किस मिट्टी में ढूंढें?
कौन कहे कि आ जाओ मेरे पास 
रिश्ते नाते 
अपने पराये 
सभी बेपरवाह
किनसे कहें कि एक बार मुझे याद करो
मुझे सिर्फ मेरे लिए 
बहुत चाहता है मन 
कहीं कोई अपना 
जो  सिर्फ मेरा...

  • द्वारा राजेश कुमार श्रीवास्तव, द्वितीय तल-5/7, सर्वप्रिय विहार, नई दिल्ली-110016

Sunday, June 23, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 77                 जून 2019


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रविवार : 23.06.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


विश्वेश्वर शरण चतुर्वेदी







01.

फिर मन उद्भ्रान्त हुआ
किसी एक उपग्रह सा
मैं तुमको ‘ध्रुव’ मान
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
बहुत घूमा हूँ

02.

तुम
तितलियों से बेहतर
तुम 
नागिनों से बढ़कर
पर हम भी, तुम समझ लो
फ़नकार आदमी हैं

  • 164/10-2, मौ. बाजार कला, उझानी-243639, जिला बदायूँ (उ.प्र.)/मो. 09997833538

Sunday, June 16, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 76                 जून 2019


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रविवार : 16.06.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


इन्द्र देव गुप्ता





01.

घना है अँधेरा
नहीं अता-पता सवेरे का,
देखते ही बनेगा
भागते अँधेरे का हाल,
जब हर कमजोर हाथ
उठाएगा एक मशाल

02.

खम्भों पर टिकी गोल छत के इर्द गिर्द
उड़ते हुए सफेदपोश कौए,
जनता के लिए, जनता द्वारा बनाए
जनतंत्र के हौए।

03.

विद्रोही तेवर हैं तत्पर
उतारने को चेहरे से आदमी के
परतें आवरणों की,
अब बाट नहीं जोहती कोई अहिल्या
किन्हीं रामचरणों की।
छायाचित्र : ज्योत्श्ना शर्मा 

04.

आ गईं अनुभूतियाँ हाशिये पे
पराई पीर पढ़ नहीं पाता कोई
सब अंधे-बहरे पुतले हैं,
चल रहे हैं साथ
फिर भी आपस में तने हैं।

  • बी-31, जीएफ, साउथएण्ड फ्लोर्स, सै. 49, गुरुग्राम-122018, हरियाणा/मो. 09315029382 

Sunday, June 9, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 75                 जून 2019


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रविवार : 09.06.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!

वीणा शर्मा वशिष्ठ






01. बर्तन

आज
बर्तन चमक रहे हैं
कुछ समय के लिए ही सही
बुजुर्ग माँ के घर
पकवान महक रहे हैं।

02. प्रेम

प्रेम की पराकाष्ठा
तुम्हें न दिखी
क्यों?
क्योकि
तुम्हारे मन में
अँधेरा था...

रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 
मेरे मन में दीप।।

03. कृषक भाग्य

संसार क्षुधा का
साधन मात्र
रज कण से सरोबार
उदर पर
गीला वसन बाँधे
विकट परिस्थिति।


  • 597, सेक्टर-8, पंचकूला-134109, हरियाणा/मो. 07986249984

Sunday, June 2, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 74                 जून  2019


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रविवार : 02.06.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


बलराम अग्रवाल 








01.

काँप गया है
पेड़ समूचा इसी बात से
कैसे
पत्ता गिरा शाख से।
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता

02.

रश्मियों के जाल 
बुनता-भेजता जो
सूर्य के
उस पार भी एक देश है।       


  • एम-70, उल्धनपुर, दिगम्बर जैन मन्दिर के पास, नवीन शाहदरा, दिल्ली/मो. 08826499115