Sunday, January 26, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 /108                  जनवरी 2020



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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
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रविवार : 26.01.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


केशव शरण








01. अन्दर एक द्वंद्व के बाद

गोरियाँ गुज़रती हैं
गरदा आता है
खिड़की खोलने में भी
दुविधा है कम नहीं!

अंदर एक द्वंद्व के बाद
आखि़र, निश्चयात्मक हुआ-
रेखाचित्र : रीना मौर्या 'मुस्कान'
गरदे का ग़म नहीं !!

02. अभी मैंने कुछ नहीं देखा था

कुछ देर और 
मेरा रुकने का मन था
मैं अपने मन से गया था
वह एक मनभावन वन था

अभी मैंने कुछ नहीं देखा था
और साथी ने सब देख लिया था

  • एस 2/564 सिकरौल वाराणसी-221002/मो. 09415295137

Sunday, January 19, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 /107                  जनवरी 2020


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रविवार : 19.01.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



वीणा शर्मा वशिष्ठ







01. कमल

मन में
कीचड़ ही कीचड़ भरा
छायाचित्र : उमेश महादोषी
पर, न जाने क्यों

कहीं भी
कमल न खिल सका।

02. खामोश रिश्ते

रिश्तों की खामोशी
दीवारों पर असर कर गई
अब, पहले की तरह दीवारें
अकेले में
मुझसे बातें नहीं करतीं।

  • 597, सेक्टर-8, पंचकूला-134109, हरियाणा/मो. 07986249984

Sunday, January 12, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 /106                  जनवरी 2020



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रविवार : 12.01.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



उमेश महादोषी






01.

क्यों सहूँ
डूबना-उतराना
इस भँवर में
जानता हूँ जब
बटोरकर थोड़ी शक्ति
एक मछली-सी उछाल
तोड़ सकती है आसानी से
यह भंवर जाल!

02.

पानी
सिर से गुजर चुका है
कुत्तों के भौंकने का शोर
दिशाओं को निगल चुका है
मित्रो!
रोशनी की उम्मीद छोडो
जितना बढ़ा सकते हो
अपने नाखूनों को बढ़ाओ
और अंधेरों के जंगल में
घुस जाओ।

छायाचित्र : रितेश गुप्ता 
03.

बसन्त आई
खुश हुए कुछ भौंरे
पर.....?
फूलों की पंखुड़ियों से
निकलने लगीं लपटें
झुलसने लगे पेड़

04. 

गुलेलें तनी थीं
बगुलों की ओर
शिकार/मगर
हो गईं
गौरैयाएँ 

  • 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004

Saturday, January 4, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 /105                  जनवरी 2020



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रविवार : 05.01.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
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कृष्णा वर्मा








01.

निर्निमेष
तकती आँखों का मौन
बहुत कुछ कह जाता है
शब्दों से परे।

02.

हथेली पर समेट कर 
पानी की बूँद
पत्ता सहेजता है
बरसाती सफ़र की
गीली स्मृतियाँ।

03.

क्यूँ हो गईं ग़ायब
जिगरी दोस्तियाँ
कैसे बाँटें 
चित्र : प्रीति अग्रवाल 
दिल की बातें
बराहे रस्मी दोस्तों से।

04.

लम्हा-लम्हा होंद से
रिसती उम्र
दर्ज़ कर रही है 
ज़िंदगी को 
तारीखों में।

  • 62, हिलहर्टस ड्राइव, रिचमंड हिल ओन्टारियो, एल 4 बी 2 वी 3, कनेडा 

ईमेल: kvermahwg@gmail.com