Sunday, February 25, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 14                    फ़रवरी 2018


रविवार  :  25.02.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!

सोनिया गुप्ता 





01.

खुद का अस्तित्व
खुद की परछाई है
इससे कोई भी बात
मन की न छुप पाई है!

02.

जिन्दगी पहेली है
सुख दुःख की सहेली है
कौन जाने इसका परिचय
कभी सड़क तो कभी हवेली है!

  • 95, आदर्शनगर, डेरा बस्सी, जिला मोहाली-140507, पंजाब/मो. 08054951990

Sunday, February 18, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 13                     फ़रवरी 2018


रविवार  :  18.02.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


सुनील गज्जाणी




01.

तुम मेरा बजूद हो
मगर 
मैं तुमसे नहीं
भिन्न-भिन्न
अस्तित्व लिए 
तुम एक अहसास हो
जो गुजरता है
मुझसे होकर!


02.

मैं, जन्मा ही नहीं
छायाचित्र : डॉ. बलराम अग्रवाल 

तुममें
हैरत में हो?
क्या जन्मना गर्भ से ही होता है?
तुम्हारे हृदय से भी तो
जन्म सकता था मैं
प्रेम के रूप में
जो संभव नहीं हो पाया!

  • सुथारों की बड़ी गुबाड़, बीकनेर-334005, राज./मो. 09950215557

Sunday, February 11, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03 / 12                         फ़रवरी 2018



रविवार  :  11.02.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


पुष्पा मेहरा 




01.

रात हुई, अँधेरा छाने लगा 
अमावस सारी ही रात 
तारों की रौशनी में 
जीवन-पल गिनती रही।

02.

आई थी झंझा 
काँपी थी लता,
अवलम्बन पा पेड़ का 
वह जी गई। 

03.

वह ताबूत नहीं 
किसी की ममता, दो आँखें 
प्यार और- और क्या ?
किसी जुझारू का देश प्रेम है। 

04.

मन एक सड़क 
असंख्य गड्ढों से भरा,
समा जाता जो इसमें 
लौट के नहीं आता 
शायद कोई ब्लैक होल है !! 

05. 

बसंत ने कहा- 
रेखाचित्र : (स्व.) बी. मोहन नेगी 
मैं फ़िर लौटूँगा 
तुम सारे द्वार
खुले रखना।

06.

भोर होगी 
उड़ आएँगीं तितलियाँ वही 
रात भर जिन्हें 
सपनों ने जगाया था !!
  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598

Sunday, February 4, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03 / 11                          फ़रवरी 2018



रविवार  :  04.02.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



सीमा स्मृति 







01. याद 

याद कोई बादल नहीं, 
जो आये और चली जाए 
ये तो वो
थिर सूरज हैं 
जो चमकता क्षण प्रति क्षण 

02. ‘मूक’

स्पर्श केवल, अंधकार की जबान नहीं, 
यह भाषा है, 
प्रत्येक जीवन की
भट्टी के अंगारो की तरह उकेरा है 
हर स्पर्श से पूर्व ‘जिन्दगी’ ने।

03.

खामोश हो गई, हवा
इस डर से
आदतें भी अजीब हुआ करती हैं
साँस लेने को
ज़िन्देगी समझने की आदत।

04.

सागर से पूछा
रेखाचित्र : राजेंद्र परदेसी 

कैसे हज़ारो राज
अपने तहों में छिपाये रहते हो
सागर मुस्कराया और बोला
मैं इंसान नहीं
जो अनभिज्ञ रहे
अपने ही मन की थाह से।

05.

तलाशती रही ज़िन्दगी-साथ
उनके भी साथ, जो 
चलते रहे साथ-साथ।

  • जी-11, विवेक अपार्टमेंट, श्रेष्ठ विहार, दिल्ली -110092/मो. 09818232000