Sunday, January 28, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03 / 09-10                  जनवरी 2018



रविवार  :  28.01.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



गोवर्धन यादव





01. 

सड़कों पर परिरंभन हो, 
चौराहों पर चीरहरण
शैशव के तेरे ये दिन है, 
तो भरी जवानी में क्या होगा

02. 

दिन भर का थका हारा सूरज
देर तक सुस्ताता रहा 
और बुनता रहा किरणों का जाल
मैं मृत्तिका के दीप सा जलता रहा रात भर
तो, 
जल जाना ही मेरा काम है
आलोक मेरा नाम है, 

  • 103, कावेरी नगर, छिन्दवाड़ा-480001. म.प्र./मो. 09424356400   





राजेन्द्र यादव






01.   मदहोश 

इतना दर्द पिलाया साकी,
आखिर वह 
मदहोश हो गई
सदा बोलने से शिकवा था,
आज सदा 
खामोश हो गई

02. खातिर

सूरज की मानिंद
ये जीवन,
शाम ढले ही
अस्त!

  • श्रद्धा नगर, छिंदवाड़ा-480001 (म.प्र)/मो. 09425360938

Sunday, January 21, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03 / 08                      जनवरी 2018



रविवार  :  21.01.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



अंजु दुआ जैमिनी






01.
रखा था चूंकि
पैर पूँछ पर
भाया न था
उसका आशय
निकाल फेंका
बलात्कारी ने
उसका गर्भाशय!

02. श्राप

अकेलेपन को श्राप मान
कब तक जीते रहोगे
नीड़ छोड़ उड़ गया जो
निश्चित ही लौटकर
नहीं आएगा
पर इतना तय है
कि अपने बनाए नीड़ में

इक दिन वह भी
तन्हा रह जाएगा!

03. दूर बहुत
मुट्ठी में तेरी
छायाचित्र : डॉ. बलराम अग्रवाल 
मैं सोनचिरैया
उड़ने न देता
प्रेम जताता,
कभी-कभार
खोलता मुट्ठी
भींच लेता फिर चटाचट
इस कदर है सताता

  • 839, सेक्टर-21सी, फरीदाबाद, हरियाणा/ मो. 09810236253

Sunday, January 14, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03 / 07                     जनवरी 2018



रविवार  :  14.01.2018 

‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।



ज्योत्स्ना शर्मा 





01. अक्स !

यूँ छुप तो जाते हैं
दिल के छाले
जतन से ...
छुपाने से
कैसे रोक पाऊँ मैं
अक्स..
रूह के ज़ख़्मों के
लफ़्ज़ों में उभर आने से !!

02. उम्मीद!

कतरे पंख
और... लग गए खुद ही
मर्सिया गाने में
ठहरो!
ज़िन्दा हूँ अभी
भरूँगी उड़ान...
कुछ वक़्त तो लगेगा
नए पंख आने में !!

03. तेरी याद!

एक बदली है
दिल के सहरा को
इस तरह...
पल-पल परसती है
जिस तरह ...
भरके माँग तारों से,
रात की दुलहिन
रात भर तरसती है !!!

04. तितली



कैसे मन को
सुकूँ ..
कैसे तन को
आराम!
नर्म ,नाज़ुक
मखमल बदन
छायाचित्र : उमेश महादोषी 
और...
फूलों में, शूलों में
विचरने का काम...
मेरे खुदा!
तू ही बता
क्या होना अंजाम?

05. 

बड़ी गहरी...
चुभी थी कोई फाँस...
करकती रही!
और ज़िंदगी...
अपने वजूद का अहसास लिए
धीरे-धीरे...
सरकती रही!


  • एच-604, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053

Sunday, January 7, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03 / 06                    जनवरी 2018 



रविवार  :  07.01.2018 

‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।




बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’ 




01. पेट 
रोटी के पीछे भागता मजदूर 
हारेगा ज़रूर 
दूर 
ढोल बज रहा।

02. क़र्ज 

साहूकार ने बो दिए नोट 
किसान के पेट में 
खेत ने मुँह मोड़ लिये 
तिजोरी की तरफ़।

03. विरोधाभास 

शहर 
पिकनिक मनाने 
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 
जाते जंगल 
जंगल मरता 
जंगल 
पिकनिक मनाने 
आते शहर 
शहर साँस लेता।

04. ताक़त 

कुर्सी के चारों पैरों के बीच 
बैठा बब्बर शेर 
कहना मानने मजबूर।
  • डॉ. बख्शी मार्ग, खैरागढ़-491881, जिला राजनांदगांव, छ.गढ़/मो.09424111454