Sunday, February 26, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /269                     फरवरी 2023 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 26.02.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


 बबिता गर्ग ‘किरण’




01. जाहिल-1


बहुत समझाया

समझ ना आया

जाहिलों का दिमाग

हमने खाली पाया


02. जाहिल-2


वो स्वयं तो डूबे

औरों को भी ले डूबे

छायाचित्र  : उमेश महादोषी 
उस पर तुर्रा यह

कि उन्हें जाहिल ना कहो


03. जाहिल-3

जाहिलपन ऐसा कि

जिस खिड़की से धूप आती थी

उसे ही सील कर दिया।

  • 970, सैक्टर 21-डी, फरीदाबाद, हरियाणा/मो. 09212090094

Sunday, February 19, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /268                     फरवरी 2023 

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रविवार  : 19.02.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


प्रगति गुप्ता 





01.


महसूस की हुई 

यादों को 

शब्दों का जामा पहनाना 

इतना भी आसान नहीं 

बहुत कुछ समेटने-सहेजने की 

कोशिश करो 

फिर भी बहुत कुछ 

छूट जाता है...


02.

रेखाचित्र : रमेश गौतम 

धुँधली-सी होती जा रही हैं 

मेरी हस्त रेखाएँ 

हर रेखा एक प्रश्न चिह्न बन गई है 

पता नहीं- 

नजर कमजोर हो गई है मेरी- 

या समय पूर्ण हो चुका है मेरा... 

  • 58, सरदार क्लब स्कीम, जोधपुर-342001, राज./मो. 07425834878

Sunday, February 12, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /267                     फरवरी 2023 

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रविवार  : 12.02.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’





01.

मस्तक पर धर पाँव

चढ़ते गए 

स्वार्थ की सीढ़ियाँ

गुज़री कई तुम्हारी पीढ़ियाँ

लिप्सा की चूकी दृष्टि तो 

धम्म से गिरे।


02.

जिसने पाया, वह भरमाया

जिसने खोया, वह तो रोया

पाना-खोना, यही है जीवन

आँसू से होता है तर्पण 

हम रोते, रोता है दर्पण।


03.

चित्र : उमेश महादोषी 

पलकों पे लरजते मोती

गिरने नहीं देना,

धूल में मिलेंगे

किसके काम आएँगे!

लाओ मैं अँजुरी में भर लूँगा

आचमन कर लूँगा

इससे बड़ा सुधा-पान नहीं होगा 

इस जनम के वास्ते!

  • 1704-बी, जैन नगर, गली नं. 4/10, कश्मीरी ब्लॉक, रोहिणी सैक्टर-38, कराला, दिल्ली-110081/मो. 09313727493 

Sunday, February 5, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /266                     फरवरी 2023 

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रविवार  : 05.02.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


अनीता ललित




01.

काश! लौट आए वो बचपन सुहाना...

बिन बात हँसना...

खिलखिलाना...

हर चोट पे जी भर के रोना...


02. 

ढलते सूरज से...

था वादा मिलने का...,

जाते-जाते वो मुझे...

तोहफ़े में ‘चाँद’ दे गया...

चित्र : प्रीती अग्रवाल 


03.

ज़हन में उलझन,

माथे पे सिलवटें...

किस ख्वाब में सोए थे...

किस हकीकत से जागे हैं...?

  • 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.