समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /105 जनवरी 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
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रविवार : 05.01.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
कृष्णा वर्मा
01.
निर्निमेष
तकती आँखों का मौन
बहुत कुछ कह जाता है
शब्दों से परे।
02.
हथेली पर समेट कर
पानी की बूँद
पत्ता सहेजता है
बरसाती सफ़र की
गीली स्मृतियाँ।
03.
क्यूँ हो गईं ग़ायब
जिगरी दोस्तियाँ
कैसे बाँटें
चित्र : प्रीति अग्रवाल |
बराहे रस्मी दोस्तों से।
04.
लम्हा-लम्हा होंद से
रिसती उम्र
दर्ज़ कर रही है
ज़िंदगी को
तारीखों में।
- 62, हिलहर्टस ड्राइव, रिचमंड हिल ओन्टारियो, एल 4 बी 2 वी 3, कनेडा
ईमेल: kvermahwg@gmail.com
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