समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 75 जून 2019
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 09.06.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
01. बर्तन
आज
बर्तन चमक रहे हैं
कुछ समय के लिए ही सही
बुजुर्ग माँ के घर
पकवान महक रहे हैं।
02. प्रेम
प्रेम की पराकाष्ठा
तुम्हें न दिखी
क्यों?
क्योकि
तुम्हारे मन में
अँधेरा था...
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03. कृषक भाग्य
संसार क्षुधा का
साधन मात्र
रज कण से सरोबार
उदर पर
गीला वसन बाँधे
विकट परिस्थिति।
- 597, सेक्टर-8, पंचकूला-134109, हरियाणा/मो. 07986249984
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