Sunday, January 1, 2023

 

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /261                     जनवरी 2023 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 01.01.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


केशव शरण





01. 

दयालु हैं वे

कि प्राण बख़्श देते हैं

चोटिल 

चाहे जितना करते हों


02. 


आकाश भर नहीं गया

परवाज़ से

चहकने की आवाज़ से

पिंजरा ज़रूर खाली हो गया


जाने कौन डाल

आबाद हुई होगी!


03. 

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


करुणा उभरी तो

आंसू बह निकला

आंसू बह गया तो

करुणा भी बह गयी

नाट्यशाला के बाहर

कुछ नहीं बदला

  • एस 2/564, सिकरौल, वाराणसी कैन्ट-221002 (उ0प्र0)

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