समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /204 नवम्बर 2021
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 28.11.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 28.11.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
आनन्द प्रकाश शाक्य ‘आनन्द’
01.
अपहृत सीताएँ
पुकारतीं- हाय राम! हाय राम!
मचा कुहराम!
02.
सूली में लटकी हैं-
संवेदनाएँ,
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा |
कोख में मर रही
माताएँ!
03.
वक्त
बड़ा सख्त
उलटता तख्त!
- ग्राम धर्मपुर, पोस्ट ज्योती, मैनपुरी-205263, उ.प्र./मो. 07248815852
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