Sunday, December 5, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /205                        दिसम्बर 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 05.12.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


रजनी साहू




01.


मन भीतर

जो दुःखों का पहाड़ था

वह तरल होकर

बह गया आँखों से

और कोई अपना 

दुनिया की 

भीड़ में खो गया,

किसी और का हो गया!


02.


सर्वत्र छायी है चुप्पी

क्या करें गूँगे-बहरे शब्द

क्षीण है शक्ति,

लाचार है अभिव्यक्ति!


03.

रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 


मैंने नहीं देखा

जन्नत

पर तुमसे

ख़ूबसूरत नहीं होगा

मेरी माँ!

  • बी-501,कल्पवृक्ष सीएचएस, खण्ड कॉलौनी, सेक्टर 9, कॉर्पाेरेद्वान बैंक के पीछे, प्लाट नं. 4, न्यू पानवेल (पश्चिम)-410206, नवी मुंबई (महाराष्ट्र)/मोबा. 09892096034 

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