Sunday, December 26, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /208                         दिसंबर 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 26.12.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


 पुष्पा मेहरा




01.


विकास के बीज 

विनाश की धरती पर 

फले-फूले 

जंगल को काटकर 

मंगल होने का यह 

अंदाज निराला है!


02.

आज बापू के तीन बन्दर 

साँप-नेवला बने बैठे हैं 

और हम उनका तमाशा 

देखने को मजबूर हैं

रेखाचित्र : बी. मोहन नेगी 

03.


ठुमकती बिटिया चली 

आँगन हँसा,

पराई हुई, घर सूना हुआ 

आग में जलाई गई-

दीवारें, 

लोग सभी सन्न रह गये

  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598

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