समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /209 जनवरी 2022
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 02.01.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 02.01.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शैलेष गुप्त ’वीर’
01.
ओढ़नी की ओट से
मुझे निहारती दो आँखें
नेह-सरिता में भीगे
कपोल
और भोर की लालिमा को
फीका करते रजपट
सुनो, मत जाना अभी
निहारती रहो
बस यों ही।
02.
बहुत देर से
ठहरा हुआ हूँ
इनबॉक्स में,
शायद तुम लिखोगी कुछ
या फिर भेजोगी कोई इमोजी,
मौन टूटता ही नहीं,
तुम भी सोच रही होगी
मुझे ही,
जानता हूँ।
03.
रेखाचित्र : सिद्धेश्वर |
मैंने कहा-
धड़कन हो तुम
हौले से मुस्कुराई प्रियतमा
और ओढ़ ली चुप्पी,
मैंने सुना-
साँसों को
गिटार की धुन में
बदलते हुए।
- 18/17, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ. प्र./मो. 09839942005
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