Sunday, January 30, 2022

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /213                         जनवरी 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 30.01.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


ज्योत्स्ना प्रदीप 




01.

कलियाँ कहाँ जाये!
अंग-अंग किसी ने 
छीले हैं 
बगल की ही डाली पर 
कुछ काँटें 
नुकीले हैं!

02.

फिर से 
एक और मासूमबेटी
चीखी, रोईं 
कुछ भेड़ियों की 
सियासत की 
धधकती चिता में  
सदा के लिए सोई!

03.

मेरे मन-मरु में 
चित्र : प्रीति अग्रवाल 
तुम्हारी भूमिका 
जैसे 
हरा भाग 
भूमि का!

04.

ये इश्क़ है,  प्यार है!
आसमान की शबनम 
ज़मीं के फूल पर
मर-मिटने को 
तैयार है!
  •  देहरादून, उ.खण्ड/ईमेल : jyotsanapardeep@gmail.com /मो. 06284048117

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