Sunday, February 6, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /214                         फरवरी 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 06.02.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


महिमा श्रीवास्तव वर्मा





01.

काट ले गया

चुपके-चुपके आकर  

लकडहारा वक्त

उम्र दरख़्त!


02.

‘चाह’ करते हुए

गुज़र गई सारी ज़िंदगी

अब तो बस एक ‘चाह’ ही बाकी है

कि, चाही हुई चाहों में से

कम से कम

एक ‘चाह’ तो पूरी हो।


03.


प्यार की आँधी में,

मन-पर्ण झूम रहा है,

क्योंकि

वो अनभिज्ञ है अब तक इस तथ्य से

कि

यह क्षणिक आँधी

विलग भी कर सकती है

रेखाचित्र : राजवंत राज 
उसे, अपने प्रियजन- वृक्ष से


04.

चुन लिये थे

सभी ने क़िरदार अपने

पर अब

एक दूसरे के साँचे में

ढल रहे हैं

स्वार्थ पूर्ति हेतु

परस्पर

छल कर रहे हैं

  • ऑलिव-261, रुचि लाइफस्कैप्स, जाटखेड़ी, होशंगाबाद रोड, भोपाल-462026, म.प्र./मो. 07974717186 

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