Sunday, December 4, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /257                     दिसम्बर 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 04.12.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


अनीता ललित




01.

तुमसे  जुदा हुई...

तो कुछ मर गया था मुझमें...

जो मर गया था...

उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो...!


02. 

आँखों में चमक,

दिल में अजब-सा सुकून हो जैसे...

माज़ी के मुस्कुराते लम्हों ने...

फिर से पुकारा हो जैसे...

रेखाचित्र : के. के. अजनबी  


03. 

दर्द की हर तह में रख दिए मैंने...

अश्कों के मोती...

मौसम कोई भी हो...

तेरी याद महफूज़ है...

इस दिल में...

  • 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.

No comments:

Post a Comment