Sunday, June 12, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /232                           जून 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 12.06.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



चक्रधर शुक्ल




01.


दृश्यता

इतनी कम,

बाहर निकले

कपड़े नम।


02.


आँखों  का सम्मोहन 

रह-रह कर 

जादू दिखाए,

ढाई आखर 

हम पढ़ ना पाए  

आईना चिढ़ाए।


03.


उसका 

खिड़की पर 

बार-बार आना

यह बताता है  ,

बसंत 

बौराता है।


04.


आँखों ही आँखों में 

संवाद 

प्रेम 

निर्विवाद।


05. 


देह के आकर्षण का 

रेखाचित्र : कृष्ण कुमार अज़नबी 
भ्रम जाल टूटा,

अन्ततःकरण

शुद्ध होते ही

प्रेमांकुर फूटा।


06.

मृगतृष्णा का भ्रम 

उसे सताता  ,

अन्दर की यात्रा 

करता नहीं 

बाहर डूब जाता।

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मोबाइल: 09455511337 

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