Sunday, April 23, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /277                     अप्रैल 2023 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 23.04.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


रमेश कुमार भद्रावले





01. तोता


मेरा गंगाराम भी

जमाने के साथ-साथ

बिगड़ता जाता है

हरी मिर्च देखकर नहीं

पिज्जा देखकर 

चोंच बढ़ाता है


02. धूप-छाँव


जीवन में

रेखाचित्र : सिद्धेश्वर 

जिन्दगी भी/सचमुच

पतंग जैसी होती है

कभी ऊपर, कभी नीचे

कटकर 

कभी लुट तक जाती है।

  • गणेश चौक, हरदा, म.प्र./मो. 09926482831

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