Sunday, April 9, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-49

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  09.04.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’ जी की क्षणिकाएँ।


कन्हैयालाल अग्रवाल ‘आदाब’



01.
चाँदनी रात में
खिड़की से आ रही है
रातरानी की महक
पर तुम आना मत

तुम्हारे होने का अहसास
तुम्हारे होने से
ज्यादा मधुर है।

02.
इस देश की धर्मात्माओं ने 
छाया चित्र : उमेश महादोषी 
इस शब्द का 
अर्थ ही बदल दिया है
माफ करना गाँधी
मैंने तुम्हें भी 
महात्मा कहना छोड़ दिया है!

03.
सरकार ने/खोल तो दी है-
अपनी थैली
देखते हैं/कब साफ होती है
राम, तेरी गंगा मैली!

  • बंगला नं. 89, ग्वालियर रोड, नौलक्खा, आगरा-282001/मोबा. 09411652530

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