समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /196 अक्टूबर 2021
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 03.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 03.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
वी. एन. सिंह
01. रक्त-बीज
मैं नहीं जानता
दर्द के बीज किसने बोये
जिन्दगी में
वे रक्त-बीज बन गए।
02. सूना आकाश
सूने आकाश के तले
एकाकी मन
पंख फैलाये
दूर तक
उड़ता रहा पर
कहीं कोई पड़ाव न मिला।
चित्र : प्रीति अग्रवाल |
जमाने की यह पहेली
बूझो तो जानें
खुदगर्जों ने
धूप में
अँधेरा बिछा दिया।
- 111/98-फ्लैट 22, अशोक नगर, कानपुर-208012, उ.प्र./मो. 09935308449
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