Sunday, October 24, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /199                         अक्टूबर 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 24.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


रजनी साहू




01.


मज़े में है फ़रेब

और धर्म है लाचार

गर्म है

अफ़वाहों का बाजार!


02.


अन्तर्मन में

मौन छा गया,

शान्त-स्तब्ध क्षण में भी

उत्सव दिवस बस गया!


03.


रेखाचित्र : बी. मोहन नेगी 
इन शब्दों के प्रवाह को

सहेजकर रखना तुम,

जाने कब बन जायें

असीम सागर,

ये हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे

रहूँ या न रहूँ मैं!

  • बी-501,कल्पवृक्ष सीएचएस, खण्ड कॉलौनी, सेक्टर 9, कॉर्पाेरेद्वान बैंक के पीछे, प्लाट नं. 4, न्यू पानवेल (पश्चिम)-410206, नवी मुंबई (महाराष्ट्र)/मोबा. 09892096034

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