समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /198 अक्टूबर 2021
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 17.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 17.10.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अशोक कुमार गुप्त ‘अशोक’
01.
नदी सिसकती
झरना उदास,
कैसे मिटे
जन-जीवन की प्यास
02.
सागर सहमा
नदी मौन,
मेघों की दहाड़
कौन सुने!
03.
उनके हाल-चाल
अच्छे हैं
जिनके साथ
रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन |
04.
वह सिर पर
आकाश उठाता है
जब
पीकर आता है!
- 124/15, संजय गाँधी नगर, नौबस्ता, कानपुर-208021, उ.प्र.
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