Sunday, April 3, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /222                        अप्रैल 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 03.04.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


ज्योत्स्ना शर्मा 




01.


खिलौने तोड़कर

एक ने कहा- असभ्य!

कब सभ्य बन पाएगा?

टुकड़ों को

और महीन करते हुए

दूसरे ने कहा

जब सतयुग आएगा।


02.


खूबसूरत है

मेरी हिन्दी भाषा

मनोहर अर्थों का

सुन्दर शब्दों में

विन्यास है, रस-विभाग है!

देखिए तो-

प्रेम राग है और ईर्ष्या आग है!

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


03.


सुखद होता है

मित्रों से मिलना!

इसका

सुन्दर प्रमाण मिल गया

जब

किरणों की आहट से

फूलों का

चेहरा खिल गया...!

  • एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053

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