Sunday, April 10, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /223                        अप्रैल 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 10.04.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


रमेश कुमार भद्रावले




01. इंसाफ 

          

काली पट्टी बाँधकर,

न्याय की तराजू

औरत के हाथों,

क्या दे दी गई,

जन्म से पहले- गर्भपात 

जन्म के बाद- प्रताड़ना, दहेज 

ताउम्र न्याय के

लिए तरस गई!


02. कला


काम उसी से चलता

टुकड़ा हो, आधी-पौन,

या- हो,

अख्खी,

डिजाइन, रोटी की,

आदमी ने,

चाँद से ही,

सीखी!


चित्र : प्रीति अग्रवाल 
03. फागुन

साल का,

हर महीना

मस्ती के रंग में,

रंग जाता,

यदि, फागुन खुद,

अपने साथियों,

के साथ होली

खेल जाता,!

  • गणेश चौक, हरदा, म.प्र./मो. 09926482831

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