Sunday, March 27, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /221                        मार्च 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 27.03.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


पुष्पा मेहरा




01.


घुप्प अँधेरा 

रात भर रात 

धरती की प्यास बुझाती रही 

सुबह कोर दृकोर हँसी

और मैं -

एक कतरा बूँद को  तरसती रही द्य 


02.


मेरी-तेरी कहते-सुनते 

कुछ प्यार कुछ तकरार 

कुछ मान-मनुहार करते 

वक्त की सलीब पर टँगे

अदना से प्राण काँटों की राह पर 

फूल चुनते रहे 

कब शाम हुई पता ही ना चला।


03.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


आज भी माँ    

तुलसी और गंगा पर 

आस्था के दीप जलाती है 

भावी पीढ़ी को 

संस्कारों की धरोहर देती है।

  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598 

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