Sunday, March 13, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /219                        मार्च 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 13.03.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


वीणा शर्मा वशिष्ठ




01. पहेली


नटखट बचपन

गरीबी की चादर में

कब पचपन हुआ..

अनसुलझी-सी


पहेली है ये...!


02. तीन बंदर

आह!

तीनों बंदर बदल गए

समय के बदलते रूप में

अब वो

गिरगिट से भी

श्रेष्ठ हो गए।

रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता 

03. बुढापा


नटखट मुन्नू की

तोतली बोली,

माँ ने समझी...

बुढ़ापे की दहलीज पर

मुन्नू नहीं समझता

माँ की बिन दाँतों की भाषा!

  • 597, सेक्टर-8, पंचकूला-134109, हरियाणा/मो. 07986249984 

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