Sunday, October 22, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-41

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  22.10.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री सुनील गज्जाणी जी की क्षणिका।


सुनील गज्जाणी




01.
मखमली सुबह
ठिठुर रही है
कोहरे में लिपटी
सूरज खड़ा
मुस्कुरा रहा
चाँद की मानिंद!

02.
...बच्चो जैसी
लग रही थी
शाखाओं पर खिलती कोपलें

छायाचित्र : उमेश महादोषी 
और स्वर्णिम पत्तियाँ
मानो बुजुर्ग!

03.
मृत्यु, कितना लंबा 
धैर्य रखती है
ज़िंदगी के प्रति 
उसका सिर्फ एक क्षण 
लेने की खातिर!



  • सुथारों की बड़ी गुवाड़, बीकानेर-334005, राज./मो. 09950215557 

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