समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 15.10.2017
कमलेश चौरसिया
सफेदपोश
उजले कपड़े पहन
बैठे
झक-सफेद कुर्सी पर
बैठते ही
कुर्सी काली हो गई।
02.
माँ गंगा
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
सिर के
सारे टोने-टोटके
बहा देती
आँचल से!
03.
इश्क के दरिया में
छपछपाना है, तैरना है, डूबना है
शिद्दत से हाथ थाम लो
पार उतर जाना है।
- गिरीश-201, डब्ल्यू.एच.सी. रोड, धरमपेठ, नागपुर-440010, महाराष्ट्र/मो. 08796077001
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