समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 08.10.2017
राम प्रवेश रजक
01. अगर
डॉक्टर बनती
अगर
मैं
पैदा होती!
02. अफसर बिटिया
देश कैसे सुधरेगा
हजारों की संख्या में
रोज मर रही हैं
‘अफसर बिटिया’।
03. किसान की जान
चिलचिलाती धूप में
नौरंगित्रा की सूख जाती है
रेखाचित्र : उमेश महादोषी |
जैसे... जैसे सूखती है
असमय धान की मोरी।
04. सवाल
नजरुल, निराला, दिनकर की
कविताएँ
सरकार से पूछती हैं-
सैकड़ों सवाल
अक्सर!
- हिन्दी विभाग, पाण्डेश्वर कॉलेज, पाण्डेश्वर-713346, जिला वर्द्धमान, प. बं./मो. 09800936139
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