समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 08.10.2017
सपना मांगलिक
01.
काव्य सृजन
यानि ठंडे रिश्ते
जहन में अगन
कवि मायूस/और
टुकड़ों में विभक्त/उसका मन।
02.
मन-मस्तिक/निरंतर द्वंद
हो न हो, जरूर
है इनमें भी कुछ
घनिष्ठ सम्बन्ध।
03.
जिन्दगी और मौत
रेखाचित्र : स्व. पारस दासोत |
लगाए बैठी हैं घात
विरोधी को दें कब पटखनी
करके शय और मात
04.
चींटी से हो शुरू
हाथी बन जाती है
छोटी सी एक बात
बातों-बातों में
बे-बात बढ़ जाती है।
- एफ -659, कमला नगर आगरा-282005, उ.प्र./मो. 09548509508
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