समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 05.11.2017
सुरेश सपन
01.
सदी का
बदलता है मानचित्र
हम देखते हैं
बढ़ती हुई
दीवार से दीवार की दूरी
और मुँडेरों पर
उगती हुई काँच की किरचें!
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
02.
कहीं हवा बनायी जाती है
और कहीं बिगाड़ी जाती हैं
जो इस खेल में कहीं नहीं हैं
उनकी जान जाती है!
03.
कल का गाँव/आज का गाँव
बदला बस इतना सा है
धूप ही धूप बची
ढूँढने पर भी नहीं मिलती छाँव
- डॉ. सुरेश चन्द्र पाण्डेय, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनु. संस्थान, अल्मोड़ा(उ.खंड.)/मो.09997896250
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