Sunday, November 5, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-45

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  05.11.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल डॉ. सुरेश सपन जी की क्षणिकाएँ।


सुरेश सपन




01.
सदी का 
बदलता है मानचित्र
हम देखते हैं
बढ़ती हुई
दीवार से दीवार की दूरी
और मुँडेरों पर 
उगती हुई काँच की किरचें!

छायाचित्र : उमेश महादोषी
02.
कहीं हवा बनायी जाती है
और कहीं बिगाड़ी जाती हैं
जो इस खेल में कहीं नहीं हैं
उनकी जान जाती है!

03.
कल का गाँव/आज का गाँव
बदला बस इतना सा है 
धूप ही धूप बची 
ढूँढने पर भी नहीं मिलती छाँव
  • डॉ. सुरेश चन्द्र पाण्डेय, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनु. संस्थान, अल्मोड़ा(उ.खंड.)/मो.09997896250

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