Sunday, June 25, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-08

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  25.06.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री रामेश्वर काम्बोज हिमांशु जी की क्षणिका। 


रामेश्वर काम्बोज हिमांशु




01.
जिनके पैरों के निशान
दफ्तर की गुफा में
भीतर चले जाते हैं
वे कभी वापस नहीं आते हैं।

02.
माना कि
झुलस जाएँगे हम
फिर भी सूरज को
धरती पर लाएँगे हम।

03.
एक अन्धा आईना
फिर अन्धकूप-सा मन
रूप जो तुमने निहारा,
मन ही मन हरषाए
खुद को न पहचाना।

रेखाचित्र : रमेश गौतम 

04.
स्मृति तुम्हारी-
हवा जैसे भोर की
अनछुई, कुँआरी।

05.
घर से चले थे हम
बाहर निकल गए,
अब तो दस्तकों के भी
अर्थ बदल गए।
  •  जी-902,जे एम अरोमा, सेक्टर-75, नोएडा-201301, उ.प्र./मो. 09313727493

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