समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 18.06.2017
बलराम अग्रवाल
बिटिया : कुछ क्षणिकााएँ
01.
बिटिया ने
न ‘अ’ पढ़ा न ‘आ’
न ‘क’ ‘ख’ ‘ग’
उसने कुछ नहीं पढ़ा
खदान से निकले कोयले
या/सीमेंट, रेत, बदरपुर के सिवा।
02.
बिटिया ने
‘अ’ पढ़ा
‘आ’ पढ़ा और
‘क’ ‘ख’ ‘ग’ भी
उसने कुछ नहीं पढ़ा
स्टेथोस्कोप, पिल्स, नाइफ
और नुकीली बहसों के सिवा।
03.
बिटिया ने/सब कुछ पढ़ा-
रेखाचित्र : सुरेंद्र वर्मा |
खदान, खेत, बिल्डिंग,
ऑपरेशन, बहसें, फील्डिंग
और घर-गृहस्थ फीडिंग
बिटिया/बिटिया न रही
उदाहरण बन गयी।
04.
शेर से, चीते से
चोर से, डाकू से
या/दस कोस दूर
शहर में ऊँघते कोतवाल से
दद्दू किसी से नहीं डरते
वे डरते हैं
आँगन में दिनों
05.
हिलती है/न डुलती है
न हटती-टलती है
अम्मा के कलेजे पर
बिटिया
टिक गयी है पत्थर-सी।
- एम-70, निकट जैन मन्दिर, नवीन शाहदरा (उल्धनपुर), दिल्ली-110032/मो. 08826499115
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