समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 18.06.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल डॉ. बेचैन कण्डियाल जी की क्षणिका।
बेचैन कण्डियाल
01. अपंग
तन्हा रहने की आदत
धीरे-धीरे
उमंग भर देती है
इन्तजारी
बहुत बुरी चीज है
यह तो
अपंग कर देती है
02. भीड़-भाड़
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा
बन्द कमरा/बन्द दरवाजा
बन्द हैं खिड़कियाँ,
फिर भी लगता है/जैसे बहुत
भीड़-भाड़ है इस घर में।
03. टूट जाता है
बहुत से/तागे पिरोकर
देख लिये,
ये दिल है
कि बार-बार/टूट जाता है।
- ‘आश्ना’, सी ब्लॉक, लेन-4, सरस्वती विहार, अजबपुर खुर्द, देहरादून (उ.खण्ड)/मो. 09411532432
रविवार : 18.06.2017
बेचैन कण्डियाल
01. अपंग
तन्हा रहने की आदत
धीरे-धीरे
उमंग भर देती है
इन्तजारी
बहुत बुरी चीज है
यह तो
अपंग कर देती है
02. भीड़-भाड़
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा |
बन्द कमरा/बन्द दरवाजा
बन्द हैं खिड़कियाँ,
फिर भी लगता है/जैसे बहुत
भीड़-भाड़ है इस घर में।
03. टूट जाता है
बहुत से/तागे पिरोकर
देख लिये,
ये दिल है
कि बार-बार/टूट जाता है।
- ‘आश्ना’, सी ब्लॉक, लेन-4, सरस्वती विहार, अजबपुर खुर्द, देहरादून (उ.खण्ड)/मो. 09411532432
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