समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 04.06.2017
श्यामसुंदर निगम
डॉ. मृत्युन्जय!
अब मत हो ज्यादा परेशान
तुम और तुम्हारी पैथी
बिठा चुके सारे मीजान
पूरे हो गए इम्तिहान
मेरे और तुम्हारे
नतीजा तुम्हारी डबडबायी आँखों में-
...पढ़ पा रहा हूँ मैं
नाप सकता हूँ मिमी- सेमी 3डी बेकली
तुम चाहो तो भी नहीं बन सकते नचिकेता
मैं भी नहीं बन पाऊँगा ययाति
तुम/संभालो अपनी दूकान
मैं/समेट रहा हूँ अपना सामान।
- 1415, रतनलाल नगर, कानपुर-208022/मो. 09415517469
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