समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 10.09.2017
देवी नागरानी
01. प्रदर्शन
दीवारों की सिलवटें
दरारों से रिसता पानी
तेज हवा से उड़ते परदे
बाहर बारिश
अंदर भी है पानी
पर, दाग कुछ ऐसे
जो न धो पाये
आँख का पानी...
रेखाचित्र : बी मोहन नेगी |
02. डर
आँखें बंद हैं मेरी
तीरगी से लिपटा हुआ
ये मन,/गहरे, बहुत गहरे
धँसता जा रहा है
पर,
जब बेबसी में ख़ुद को छोड़ दिया
तो लगा
मैं रौशनी से घिर गयी हूँ
अब मुझे डर किस बात का!
- 9-डी, कार्नर व्यू सोसाइटी, 15/33 रोड, बांद्रा, मुम्बई-400050/मो. 09987938358
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