समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 10.09.2017
शशि पाधा
01.
आज पत्ते
कुछ पीले पड़ गए
कल सुर्ख हो जाएँगे
हवा को पसंद नहीं उनका
रंग बदलना
उड़ा ले जाएगी...
02.
पत्ती से गिरी थी ओस
बहुत नाज़ था उसेहीरा बनने का
क्षण भंगुरता से
उसकी पहचान जो ना थी...
03.
मेरे और तुम्हारे बीच का रिश्ता
रेखाचित्र : रमेश गौतम |
कभी पनपा नहीं
धूप बारिश हवा आसमान
सब तो एक से थे
शायद मिट्टी अलग-अलग थी...
04.
मैं कुम्हार नहीं जो
माटी को मनचाहा रूप दूँ
मेरे साथ नियति और प्रारब्ध जैसी
अदृश्य शक्तियाँ भी हैं
और अधिकतर
फैसला उनका ही होता है।
- 10804, Sunset hills Rd, Reston VA, US 20190 /ई मेल : shashipadha@gmail.com
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