समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 03.09.2017
सुधेश
01. शब्द
कुछ शब्द
जैसे प्यार करुणा क्षमा
शब्द नहीं
हैं मन्त्र
मन्त्र नहीं
हैं ऋचाएँ
जिन्हें आँखें बोलती हैं।
02. एक जिज्ञासा
मैं अपने दुःख से पीड़ित
तुम अपने सुख में आनन्दित
रेखाचित्र : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा |
दो चार दिनों बाद चला जाएगा
एक बात पूछूँ
तुम्हारा सुख कब तक रुकेगा।
03. बौना
बौने को मिला सब कुछ
उच्च पद पदवी
लेकिन बैसाखी चढ़
एवरेस्ट पर भी
बौना होगा बौना ही।
- 314, सरल अपार्टमैन्ट्स, द्वारका, सैक्टर-10, दिल्ली-110075/मो. 09350974120
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